मैं अपने बेटे को निहार रही थी. वह मेरे सामने लेटा अपने पाँव के
अँगूठे को मुँह में डालना चाह रहा था. और मैं उसके नन्हे-नन्हे हाथों
से पाँव का अँगूठा छुड़वाने की कोशिश कर रही थी. उस कोशिश में
वह मेरी उँगली को भी मुँह में डालना चाहता था. चेहरे पर चंचलता,
आँखों में शरारत, उसकी खिलखिलाती हँसी, गालों में पड़ रहे
गड्डे--अपनी भोली मासूमियत लिए वह अठखेलियाँ कर रहा था.
मैं निमग्न, आत्मविभोर हो उसकी बाल-लीलाओं का आन्नद ले
रही थी. वह मेरे पास आ कर बैठ गई. मुझे पता ही नहीं चला.
मैं अपने बेटे को देख सोच रही थी, शायद यशोदा मैय्या ने बाल
गोपाल के इसी रूप का निर्मल आनन्द लिया होगा और सूरदास ने
इसी दृश्य को अपनी कल्पना में उतारा होगा. उसने मुझे पुकारा--
मैंने सुना नहीं. उसने मुझे कंधे पर थपथपाया. मैंने चौंक कर
देखा-- हँसती, मुस्कराती, सुखी, शांत, भरपूर ज़िन्दगी मेरे
सामने खड़ी थी--बोली-- ''पहचाना नहीं? मैं भारत की
ज़िन्दगी हूँ.'' मैं सोच में पड़ गई--भारत में भ्रष्टाचार है,
बेईमानी है, धोखा है, फरेब है. फिर भी ज़िन्दगी खुश है .
मुझे असमंजस में देख ज़िन्दगी बोली-- ''पराये देश,
पराये लोगों में अस्तित्व की दौड़, पहचान की दौड़, दौड़ते
हुए तुम भारत की ज़िन्दगी को ही भूल गई.'' मैं सोचने लगी
--भारत में गरीबी है, भुखमरी है, धर्म के नाम पर मारकाट है,
ज़िन्दगी इतनी शांत कैसे है? जिंदगी ने मुझे पकड़ लिया--
मुस्कराते हुए बोली -- ''भारत की ज़िन्दगी अपनी धरती,
अपने लोगों, आत्मीयता, प्यार-स्नेह , नाते-रिश्तों में पलती है।
तुम लोग औपचारिक धरती पर बस दौड़ते हो. कभी स्थापित होने
की दौड़ , कभी नौकरी को कायम रखने की दौड़, दिखावा और
परायों से आगे बढ़ने की दौड़---'' मैंने उसकी बात अनसुनी करनी
चाही, पर वह बोलती गई-- ''कभी सोचा आने वाली पीढ़ी को तुम
क्या ज़िन्दगी दोगी?'' इस बात पर मैंने अपना बेटा उठाया, सीने से
लगाया और दौड़ पड़ी--- उसका कहकहा गूँजा--''सच कड़वा लगा,
दौड़ ले, जितना दौड़ना है-- कभी तो थकेगी, कभी तो रुकेगी, कभी
तो सोचेगी- क्या ज़िन्दगी दोगी --तुम अपने बच्चे को--अभी भी
समय है लौट चल, अपनी धरती, अपने लोगों में.....'' मैं और तेज़
दौड़ने लगी उसकी आवाज़ की पँहुच से परे--वह चिल्लाई--''कहीं
देर न हो जाए, लौट चल----'' मैं इतना तेज़ दौड़ी कि अब उसकी
आवाज़ मेरे तक नहीं पहुँचती-- पर मैं क्यूँ अभी भी दौड़ रहीं हूँ......
सुधा ओम ढींगरा
Monday, August 17, 2009
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3 comments:
मार्मिक. भारत की जिन्दगी आपके जीवन में सदा मुस्कुराती रहे यही कामना है .
एक अच्छी और जिन्दगी के पहलू पर विचारणीय लघु- कथा !
LAGHU KATHA MEIN PRAVAH HAI.MUSHKIL VISHAY KO
AASAAN BANAANEE KEE AAP MEIN KSHAMTAA HAI.
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