Tuesday, March 3, 2015

ढींगरा फ़ाउण्डेशन-हिन्दी चेतना अंतर्राष्ट्रीय साहित्य सम्मानों की घोषणा, उषा प्रियंवदा (अमेरिका), चित्रा मुद्गल (नई दिल्‍ली) एवं पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी (भोपाल) को मोर्रिस्विल, अमेरिका में प्रदान किया जाएगा सम्मान

 HINDI CHETNA DHINGRA FOUNDATION
    उत्तरी अमेरिका की प्रमुख त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका ‘हिन्दी चेतना’ के भारत समन्यवक तथा पत्रिका के सह सम्पादक पंकज सुबीर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी है कि  ‘ढींगरा फ़ाउण्डेशन-अमेरिका’  तथा ‘हिन्दी चेतना-कैनेडा’ द्वारा प्रारंभ किये गये सम्मानों के नाम चयन के लिए प्रबुद्ध विद्वानों की जो निर्णायक समिति बनाई गई थी, उस समिति के समन्‍वयक लेखक नीरज गोस्‍वामी द्वारा प्रस्‍तुत निर्णय के अनुसार समिति ने 2014 में प्रकाशित हिन्‍दी के उपन्यासों और कहानी संग्रहों पर विचार-विमर्श करके जिन साहित्यकारों को सम्मान हेतु चयनित किया है, वे हैं -‘ढींगरा फ़ाउण्डेशन-हिन्दी चेतना अंतर्राष्ट्रीय साहित्य सम्मान’ : (समग्र साहित्यिक अवदान हेतु) उषा प्रियंवदा (अमेरिका),  ‘ढींगरा फ़ाउण्डेशन-हिन्दी चेतना अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान’ : कहानी संग्रह- ‘पेंटिंग अकेली है’-चित्रा मुद्गल (सामयिक प्रकाशन) भारत, उपन्यास-‘हम न मरब’-डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी (राजकमल प्रकाशन) भारत। सम्मान समारोह 30 अगस्त 2015 रविवार को मोर्रिस्विल, नार्थ कैरोलाइना, अमेरिका में आयोजित किया जाएगा। पुरस्कार के अंतर्गत तीनों रचनाकारों को ‘ढींगरा फ़ाउण्डेशन-अमेरिका’ की ओर से शॉल, श्रीफल, सम्मान पत्र, स्मृति चिह्न, प्रत्येक को पाँच सौ डॉलर (लगभग 31 हज़ार रुपये) की सम्मान राशि, अमेरिका आने-जाने का हवाई टिकिट, वीसा शुल्क, एयरपोर्ट टैक्स प्रदान किया जाएगा एवं अमेरिका के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों का भ्रमण भी करवाया जाएगा। 
    पंकज सुबीर ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रेमचंद सम्मान तथा डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से सम्मानित प्रतिष्ठित कहानीकार, उपन्यासकार उषा प्रियंवदा प्रवासी हिंदी साहित्यकार हैं। उनकी प्रमुख कृतियों में कहानी संग्रह -फिर वसंत आया, जिन्दग़ी और गुलाब के फूल, एक कोई दूसरा, कितना बड़ा झूठ, शून्य, मेरी प्रिय कहानियाँ, संपूर्ण कहानियाँ, वनवास तथा उपन्यास -पचपन खंभे लाल दीवार, रुकोगी नहीं राधिका, शेष यात्रा,  अंतर्वंशी, भया कबीर उदास, नदी आदि हैं। समग्र साहित्यिक अवदान हेतु उन्हें सम्मान प्रदान किया जा रहा है। व्यास सम्मान, इंदु शर्मा कथा सम्मान, साहित्य भूषण, वीर सिंह देव सम्मान से सम्मानित हिन्दी की महत्त्वपूर्ण कहानीकार चित्रा मुद्गल के अभी तक तीन उपन्यास -एक जमीन अपनी, आवां, गिलिगडु, बारह कहानी संग्रह- भूख, जहर ठहरा हुआ, लाक्षागृह, अपनी वापसी, इस हमाम में, ग्यारह लंबी कहानियाँ, जिनावर, लपटें, जगदंबा बाबू गाँव आ रहे हैं, मामला आगे बढ़ेगा अभी, केंचुल, आदि-अनादि आ चुके हैं। सम्मानित कथा संग्रह ‘पेंटिंग अकेली है’ उनका नया कहानी संग्रह है जो सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। पद्मश्री, राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान, कथा यूके सम्मान, यश भारती सम्मान, सहित अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार एवं सम्मान से सम्मानित- पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी भोपाल में ह्रदय विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत हैं। अब तक प्रकाशित कृतियों में कहानी संग्रह -रामबाबू जी का बसंत, मूर्खता में ही होशियारी है, उपन्यास -नरक यात्रा, बारामासी, मरीचिका, हम न मरब, व्यंग्य संग्रह -जो घर फूँके, हिंदी में मनहूस रहने की परंपरा प्रकाशित हो चुके हैं। उन्हें उनके राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित उपन्यास ‘हम न मरब’ के लिये यह सम्मान प्रदान किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि 2014 से प्रारंभ किये गए ढींगरा फ़ाउण्डेशन-हिन्दी चेतना अंतर्राष्ट्रीय साहित्य सम्मान पिछले वर्ष साहित्यकारों सर्वश्री महेश कटारे, सुदर्शन प्रियदर्शिनी तथा हरिशंकर आदेश को कैनेडा के टोरेण्टो में प्रदान किये गए थे।
    ‘ढींगरा फ़ाउण्डेशन-अमेरिका’ की स्थापना भाषा, शिक्षा, साहित्य और स्वास्थ के लिए प्रतिबद्ध संस्थाओं के साथ मिलकर कार्य करने हेतु की गई है ताकि इनके द्वारा युवा पीढ़ी और बच्चों को प्रोत्साहित कर सही मार्गदर्शन दिया जा सके। देश-विदेश की उत्तम हिन्दी साहित्यिक कृतियों एवं साहित्यकारों के साहित्यिक योगदान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करना भी इसका उद्देश्य है। उत्तरी अमेरिका की त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका ‘हिन्दी चेतना’  को गत 16 वर्षों से हिन्दी प्रचारिणी सभा प्रकाशित कर रही है। हिन्दी प्रचारिणी सभा की स्थापना 1998 में हुई थी। हिन्दी प्रचारिणी सभा गत 16 वर्षों से विदेशों में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में एक विशेष भूमिका निभा रही है । ‘हिन्दी चेतना’ के सम्पादकीय मंडल में श्याम त्रिपाठी संरक्षक, मुख्य संपादक तथा हिन्दी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष, डॉ. सुधा ओम ढींगरा सम्पादक एवं रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’, पंकज सुबीर और अभिनव शुक्ल सह सम्पादक हैं।

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