Friday, October 16, 2009

मैं दीप बाँटती हूँ.....



मैं दीप बाँटती हूँ.....

इनमें तेल है मुहब्बत का

बाती है प्यार की

और लौ है प्रेम की

रौशन करती है जो

हर अंधियारे

हृदय औ' मस्तिष्क को.


मैं दीप लेती भी हूँ...

पुराने टूटे- फूटे

नफरत,

इर्ष्या,

द्वेष के दीप,

जिनमें तेल है-

कलह- क्लेश का

बाती है वैर -विरोध की

लौ करती है जिनकी जग-अँधियारा.


हो सके तो दे दो इन दीपों को

ले लो नए दीप

प्रेम, स्नेह और अनुराग के दीप

जी हाँ मैं दीप बाँटती  हूँ ............



दीपावली की बधाई....

15 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

क्या बात है, बहुत सुन्दर और दिवाली की हार्दिक शुभकामनाये !

राकेश खंडेलवाल said...

जो चषक हाथ धन्वन्तरि के थमा, नीर उसका सदा आप पाते रहें
शारदा के करों में जो वीणा बजी, तान उसकी सदा गुनगुनाते रहें
क्षीर के सिन्धु में रक्त शतदल कमल पर विराजी हुई विष्णु की जो प्रिया
के करों से बिखरते हुए गीत का आप आशीष हर रोज पाते रहें

राकेश

Unknown said...

क्या बात है ........

दीप बाँटना और दीप लेना
इन दो प्रतीकों के मध्यम से सब कुछ कह दिया आपने..........

अभिनन्दन आपकी इस पवित्र रचना का.....


आपको और आपके परिवारजन को
दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयां
एवं मंगल कामनायें.......

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ.

सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल ’समीर’

M VERMA said...

सुन्दर दीप बाँटा आपने
बहुत सुन्दर
दिवाली मुबारक हो

संगीता पुरी said...

पल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना !
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

सौ. सुधा जी
बहुत सरस काव्य की सरिता बहायी आपने
स स्नेह दीपावली की शुभकामनाएं
आपके परिवार के सभी के लिए
- लावण्या

पंकज सुबीर said...

सचही तो बात है बड़ी बहनें छोटे भाइयों को नेह के दीप तथा अशिर्वाद का प्रकाश ही तो प्रदान करती हैं । आपकी ये कविता अपने आप में दीपावली की सम्‍पूर्ण कविता है । मलेरिया ने घेरा हुआ है इसलिये अधिक नहीं लिख पा रहा हूं । आपको तथा पूरे परिवार को दीपावली की मंगल कामनाएं ।

अजित गुप्ता का कोना said...

आप दीप बाँटिए राम और भरत के प्रेम के, राम के त्‍याग के। अपनी जन्‍मभूमि को फिर से गरिमामयी बनाने के। आपकी कविता पसन्‍द आयी, बधाई। दीपावली की शुभकामनाएं।

PRAN HARMA said...

DEEWALEE KE MAHAPARV PAR
SUNDAR BHAVON MEIN RACHEE-
BASEE AAPKEE YAH AVISMARNIY
KAVITA BAHUT UPYUKT LAGEE
HAI.BADHAAEE.

कनिष्क कश्यप said...

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Roop Singh Chandel said...

एक सुन्दर कविता के लिए सुधा जी आपको बधाई.

चन्देल

प्रदीप मिश्र said...

सुन्दर कविता के लिए, बधाई। दीपावली पर अपकी रचनात्मक समृद्घी की कामना के साथ। - प्रदीप मिश्र

kishore ghildiyal said...

sundar kavita
http/jyotishkishore.blogspot.com

ashok andrey said...

sudha jee vakei aap bahut sundar rachnaa pros kar hamaare man ke taaron ko jhankrit kar jaatee hain.
badhaai
ashok andrey