Wednesday, July 11, 2012

हिन्‍दी चेतना का जुलाई-सितम्‍बर 2012 अंक प्रकाशित हो गया है ।

july_sep_2012

मित्रों हिन्‍दी चेतना का जुलाई-सितम्‍बर 2012 अंक प्रकाशित हो गया है । साहित्‍य की सारी विधाओं को स्‍थान देने का प्रयास हिन्‍दी चेतना के संपादक मंडल ने किया है । कहानियां, साक्षात्‍कार, व्‍यंग्‍य, कविताएं, ग़ज़लें, आलेख, आपके पत्र और भी बहुत कुछ समेटे है हिन्‍दी चेतना का ये नया अंक । पढ़ें और अपनी बेबाक राय, अपने अमूल्‍य सुझावों से हमें अवगत कराएं ।

हिन्‍दी चेतना को पढ़ें यहां

http://www.vibhom.com/hindi%20chetna.html

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आप की प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा |
सादर सप्रेम,
सुधा ओम ढींगरा
संपादक -हिन्दी चेतना

5 comments:

डॅा. व्योम said...

सुधा ओम ढींगरा जी द्वारा सम्पादित "हिन्दी चेतना" का जुलाई-सितम्बर २०१२" अंक हिन्दि साहित्य की लगभग सभी विधाओं का प्रतिनिधित्व कर रहा है। अंक पूरा कसावटयुक्त है, सम्पादन कौशल की जितनी प्रशंसा की जाय वह कम ही होगी, तेजेन्द्र शर्मा से सुधाओम ढींगरा की लम्बी बातचीत में तेजेन्द्र जी ने अनेक सार्थक, व्यावहारिक व बुनियादी प्रश्न उठाये हैं जो हिन्दी साहित्य और हिन्दी भाषा के क्षेत्र में किये जा रहे दिखावटी प्रयासों पर गम्भीरता से सोचने के लिये विवश करते हैं। डा० सतीश दुबे की लघुकथा श्रद्धांजलि तथा भावना सक्सेना की लघुकथा झूले का दाम प्रभाव छोड़ती है। शशिपाधा का संस्मरण "विदाई" प्रभावशाली है। पवन कुमार तथा हस्तीमल हस्ती की गज़लें अंक में चार चाँद लगा रही हैं। डा० सुधा गुप्ता की हाइकु कविताएँ बहुत प्रभावशाली हैं। अनिल जनविजय द्वारा रूसी तातार कवि मूसा जलील की कविताओं का हिन्दी अनुवाद मौलिकता जैसा अहसास कराता है। पुस्तक समीक्षा में रमाकान्त श्रीवास्तव द्वारा रामेश्वर काम्बोज हिमांशु के हाइकु संकलन की विस्तृत व्याख्या प्भावित करती है। कुल मिलाकर "हिन्दी चेतना" का अंक बहुत परिश्रम व सम्पादकीय कौशल का उत्कृष्ट प्रतिफल है। नवगीत को भी स्थान दें तो वह कमी भी पूरी हो सकेगी। बहुत सुन्दर अंक के प्रकाशन पर सुधाओम ढींगरा जी को एवं सम्पाद्कीय परिवार को वधाई।

डा० जगदीश व्योम

रश्मि प्रभा... said...

आपकी चेतना वर्तिका बन हिंदी की चेतना को प्रकाशित करती है ......

रमा शर्मा, जापान said...

हार्दिक बधाई सुधा जी .....आप की मेहनत और रचना सच में सराहनिए है ....

satish ka sansar said...

1. internet ke saath jude aur ab tak naheen, rachanakaaron ke bech abhee fasalaa hai,
wah faasalaa 'hindee chetanaa' ke is ank men bhee dikhataa hai,
hindee sahitya ke aise mahatvpoorn samkaaleen rachanakaron ko is nayee technology se jodane aur is technology me aa rahe sahity ko adhik samriddh banane men 'hindee chetana' kee bhoomikaa aur bhee mahatvpoorn ho sakatee hai,
2. tejendr sharmaa ji ne 'saahity ko market men laane ke astr-shastr'ka atyant saamyik prashn apane interview men uthaayaa hai,
yah baat unhon ne pahale bhee kahee thee,
ise aage badhanaa chaahiye. is par 'objectivelly' bahs honee chaniye,
3. 'aakharee panna' me sudha je ne ek shabd diya hai 'aasaan sahity''. is par dhyaan kendrit karen to yah bhee ek acchee aur saarthak bahas ko aamantrit karata hai.
dhanyavaad
satish jayaswal.

​अवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhan said...

Hindi chetana ka yah ank behatreen hai. Hardik Badhai