tag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post832738050742711966..comments2023-04-13T02:33:37.282-07:00Comments on शब्द सुधा: कुछ अपनी कुछ पराई--२डॉ. सुधा ओम ढींगराhttp://www.blogger.com/profile/15208381854106372287noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-20035487133915888682009-09-22T13:42:46.324-07:002009-09-22T13:42:46.324-07:00सुधा जी,
नारी के अन्तर्मन की दो विभिन्न भावनायों ...सुधा जी,<br /><br />नारी के अन्तर्मन की दो विभिन्न भावनायों को बहुत सुन्दर शब्दों में पिरोया है आपने । समय आ गया है कि समाज यह जान जाये कि नारी प्रताड़ना भूतकाल की बात हो गई । अब वो अपना शक्ति रूप पहचान गई है, वो अपने लिये नई दिशाएं, नया आसमान खोज लेगी ।<br /><br />राखी के दिन वाला पोस्ट पढ़ कर मैं बहुत भावुक हो गई थी । इसी तरह लिखती रहिये। सुख-दुख और<br />कल्पना-संवेदना बँटती रहेंगी ।<br /><br />सस्नेह<br /><br />शशि पाधाशशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-29717459672047888352009-09-22T09:26:22.269-07:002009-09-22T09:26:22.269-07:00आधी दुनिया की पीड़ा जिस सादगी और सरलता से आपने बया...आधी दुनिया की पीड़ा जिस सादगी और सरलता से आपने बयान कर दी है, बस वही कमाल की बात है. और असल कविता भी यही है. बहुत सुन्दर. साधुवाद. शुभकामनाएँ.Atmaram Sharmahttps://www.blogger.com/profile/11944064525865661094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-49063488936152032212009-09-19T10:30:51.906-07:002009-09-19T10:30:51.906-07:00आपने यह ठीक कहा है -"इसी को प्रमाणित करने में...आपने यह ठीक कहा है -"इसी को प्रमाणित करने में उम्र बीत जाती है. ठीक उसी तरह जैसे औरत की उम्र बीत जाती है, स्वयं को सिद्ध करने में कि वह इन्सान है." <br />आपने आगे लिखा है कि "औरत भारत में ही नहीं, अमेरिका में भी प्रताड़ित होती है." मैं तो यहाँ तक कह सकता हूँ कि पूरे विश्व में यही स्तिथि है. साऊथ एशियंस महिलाओं का स्पोर्ट ग्रुप जो कार्य कर रहा है, वह निस्संदेह सराहनीय है. युगयुगान्तर नारी पहचान को तलाशती रही है लेकिन आपके प्रयासों से एक दिन वह अपने अस्तित्व को पहचानेगी और मनुष्य भी अपने भ्रमपूर्ण मुखौटे को उतार कर नारी का के अस्तित्व को स्वीकार करेगा.<br />नारी के इन प्रयासों से मनुष्य का यह भ्रम टूट जायेगा कि नारी अबला है:<br />नारी को अबला कह देना, है यह सृष्टि का अपमान। <br />जहां भी हो नारी का पूजन, बना है वो घर देवःस्थान।। <br />श्रद्धा हो, श्रद्धेय भी हो, शक्ति का भी स्रोत तुम ही हो<br />जीवन को जो स्वर्ग बना दे, कल्पतरू भी तुम ही हो।<br />बिन नारी के अर्ध पुरुष है, सृष्टि का है यही विधान।।<br />महावीर <br />आपकी कविता पढ़कर हृदय विह्वल हो उठा: <br />और तेरे समाज ने नारी को<br /> वंश बढ़ाने का<br /> माध्यम ही समझा,<br /> पर उसे इन्सान किसी ने नहीं समझा.<br />समाज को नारी को यह स्वीकार करना ही पड़ेगा कि वह समय आ गया है कि नारी की भी एक पहचान है - इंसान'<br />सुधा जी ऐसे ही लिखती रहें जिससे नारी के विषय में फैले हुए बेतुके मिथ्य का भ्रम टूटे.<br />पूरी पोस्ट के लिए बधाई.<br />महावीर शर्मामहावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-37542144400307932262009-09-19T09:26:03.795-07:002009-09-19T09:26:03.795-07:00पीड़ा इंसानी कीड़ा है
जो सिर्फ कुतरता है
स्त्री क...पीड़ा इंसानी कीड़ा है<br />जो सिर्फ कुतरता है<br />स्त्री को ही क्यों <br />अपने तेज नश्तर से<br />देश, काल और विचार<br />नहीं रखते महत्व।<br /><br />पीड़ा ही पीड़ा <br />हिस्से में आई<br />वही तो सही<br />मायने स्त्री कहाई।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-44697486663852579922009-09-19T07:30:55.928-07:002009-09-19T07:30:55.928-07:00AAPNE APNE LEKH AUR KAVITAAON MEIN
JO KUCHH LIKHA ...AAPNE APNE LEKH AUR KAVITAAON MEIN<br />JO KUCHH LIKHA VE SAB HAQEEQAT KE<br />BAHUT NAZDEEK HAI.SAAF-SUTHREE AUR<br />SACHCHEE-SACHCHEE BAATON KEE<br />SAHAJ ABHIVYAKTI KE LIYE AAPKO <br />MUBAARAK.PRAN SHARMAnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-56472309752782982722009-09-19T06:29:50.680-07:002009-09-19T06:29:50.680-07:00सुधा जी ,
आपने बहुत सार्थक बात कही है. स्त्री क्...सुधा जी , <br /><br />आपने बहुत सार्थक बात कही है. स्त्री क्या भारत की और क्या अमेरिका की या यू.के या दुनिया के किसी भी कोने की .... सभी की पीड़ा एक जैसी है. कविता के शब्द मेरे यहां कटे आधे अधूरे आए इसलिए उसका आनंद नहीं ले पाया. <br /><br />बधाई<br /><br />चन्देलरूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-54415155588635601692009-09-18T22:06:46.919-07:002009-09-18T22:06:46.919-07:00बेहतरीन
सटीक
विचारोत्तेजक आलेख और भावपूर्ण कवि...बेहतरीन<br />सटीक<br />विचारोत्तेजक आलेख और भावपूर्ण कवितायें<br /><br />__अभिनन्दन !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.com