tag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post7898889842094581261..comments2023-04-13T02:33:37.282-07:00Comments on शब्द सुधा: कुछ अपनी कुछ पराईडॉ. सुधा ओम ढींगराhttp://www.blogger.com/profile/15208381854106372287noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-11243836533269910312009-09-02T12:59:33.192-07:002009-09-02T12:59:33.192-07:00AAPKE BLOG KE NAYE RANG ROOP KEE
KYA HEE BAAT HAI!...AAPKE BLOG KE NAYE RANG ROOP KEE<br />KYA HEE BAAT HAI! JITNEE ACHCHHEE<br />ABHIVYAKTI BLOG MEIN HUEE HAI UTNEE<br />HEE ACHCHHEE ABHIVYAKTI KAVITA MEIN<br />HUEE HAI.SONE PAR SUHAGA WAALEE<br />BAAT HAI .AAPKO AUR SHRI ALBELA<br />KHATREE KO "LAKH-LAKH BADHAAEEYAN.PRAN SHARMAnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-34693773839524343362009-09-02T05:39:13.381-07:002009-09-02T05:39:13.381-07:00सहज और ईमानदार कविता के लिए बधाई और शुभकामनाएँ.सहज और ईमानदार कविता के लिए बधाई और शुभकामनाएँ.Atmaram Sharmahttps://www.blogger.com/profile/11944064525865661094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-18316682631310347852009-09-02T05:37:20.849-07:002009-09-02T05:37:20.849-07:00पहले तो 'शब्दसुधा' के नए रूप के लिए बधाई. ...पहले तो 'शब्दसुधा' के नए रूप के लिए बधाई. बहुत सुन्दर है.<br />'तलाश पहचान की' कविता में जो किशोरावस्था का चित्रण किया है, निस्संदेह ही सराहनीय है. यह ऐसी आयु है जो जवानी और बचपन के बीच एक सेतु कहा जा सकता है. आपने कविता में सरल भाषा में किशोरी के भाव सुन्दर शब्दों में उजागर किये हैं. इतना ही नहीं, मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी देखें तो इन पंक्तियों में बहुत कुछ मिल जाता है:<br />आईने के सामने खड़े हो<br />खुद को निहारने का मन<br />करने लगा था.<br />बन संवर कर इठलाने को<br />मन मचलने लगा था.<br />कोई मेरी और खिंचा चला आए<br />तमन्ना होने लगी थी.<br />मन बेकाबू हो<br />विवेक का साथ छोड़ने लगा था.<br />सोच के इस बदलाव का<br />अनुभव होने लगा था. <br />आपकी नयी पुस्तक 'तलाश पहचान की' की सफलता के लिए शुभकामनायें.<br /><a href="http://mahavirsharma.blogspot.com/" rel="nofollow">महावीर शर्मा</a><br /><a href="http://mahavir.wordpress.com/" rel="nofollow">मंथन</a>महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-5950597314136638142009-09-02T02:28:05.617-07:002009-09-02T02:28:05.617-07:00वाह, हरेक लड़की ऐसा ही सोचता है, उस उमर में. आपने ...वाह, हरेक लड़की ऐसा ही सोचता है, उस उमर में. आपने कमाल की कविता लिखी. शुभकामनाएँ.Sushma Sharmahttps://www.blogger.com/profile/16417973848956082693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-57927670145342107342009-09-02T01:32:59.103-07:002009-09-02T01:32:59.103-07:00सहज और सुन्दर कविता के लिए बधाई.
रूपसिंह चन्देलसहज और सुन्दर कविता के लिए बधाई.<br /><br />रूपसिंह चन्देलरूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-61207865957201560702009-09-01T20:19:17.579-07:002009-09-01T20:19:17.579-07:00अद्भुत
अनूठी
अभिनव
मेरी प्रिय कविताओं में से एक.....अद्भुत<br />अनूठी <br />अभिनव<br />मेरी प्रिय कविताओं में से एक..................<br /><br />पहले भी कई बार पढा है<br />आज फ़िर बाँच कर<br />सुखद अनुभूति हुई ......<br /><br />बधाई और धन्यवाद आपको........Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.com