tag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post3786848925210142936..comments2023-04-13T02:33:37.282-07:00Comments on शब्द सुधा: कुछ कहना है....डॉ. सुधा ओम ढींगराhttp://www.blogger.com/profile/15208381854106372287noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-71176920586598192462009-08-28T08:09:27.329-07:002009-08-28T08:09:27.329-07:00बहुत सुन्दर और सादगीपूर्ण हो गया.
बधाई.
चन्देलबहुत सुन्दर और सादगीपूर्ण हो गया.<br /><br />बधाई.<br /><br />चन्देलरूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-29177134925115304862009-08-28T00:27:32.459-07:002009-08-28T00:27:32.459-07:00अच्छा हो गया है. पठनीय और आकर्षक.अच्छा हो गया है. पठनीय और आकर्षक.Atmaram Sharmahttps://www.blogger.com/profile/11944064525865661094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-25350783030983448072009-08-27T21:05:32.569-07:002009-08-27T21:05:32.569-07:00आपका बलाग बहुत अच्छा लगा बधाई और शुभकामनायेंआपका बलाग बहुत अच्छा लगा बधाई और शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-57183685807152433792009-08-27T19:59:00.854-07:002009-08-27T19:59:00.854-07:00यही तो मैं भी कहता हूँ समीरलालजी कि श्री जी वगै...यही तो मैं भी कहता हूँ समीरलालजी कि श्री जी वगैरह हो तो<br />स्वयं के नाम पर स्वयं नहीं चिपकाना चाहिए... डॉ० तो एक उपाधि है<br />जो कि आपने अपनी प्रतिभा और परिश्रम के बल पर प्राप्त की है ये<br />कोई आत्म-गर्वोक्ति नहीं बल्कि परिचयात्मक शब्द है ।<br /><br />ये कोई कालाधन थोड़े ही है जिसे छिपाना पड़े......हा हा हा हा<br /><br />अच्छा, मैं तो हटा भी दूँ ....क्योंकि आपके एक मित्र ने इस पर एतराज़ <br />किया है किन्तु हटाने के बाद यदि एक से ज़्यादा लोगों ने आपत्ति की<br />तो ? तो क्या करना होगा ?<br /><br />अरे दीदी...........कविता के क्षेत्र में तो मैं ऐसे अनेक लोगों को जानता हूँ<br />जो डॉ० न होते हुए भी ये शब्द अपने नाम के साथ लगाते हैं ताकि उनका<br />रूतबा बढे .....और आप होते हुए भी संकोच कर रही हैं ...कर दी न पंजाबियों<br />वाली बात ! <br /><br />पर पंजाबी इतने संकोची कब से हो गए ?<br />अच्छा ..जालंधर वाले होते होंगे......हा हा हा हाAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-331993313689559790.post-78738820903763002732009-08-27T18:42:49.911-07:002009-08-27T18:42:49.911-07:00डॉ तो उपाधि है, आपका अधिकार है, जरुर लगाईये..श्री,...डॉ तो उपाधि है, आपका अधिकार है, जरुर लगाईये..श्री, जी..आदि दूसरे लगाते हैं.<br /><br />अच्छा लगा ब्लॉग और इसका कलेवर!!<br /><br />बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com